युवाओं के हाथ में देश के भविष्य की दशा और दिशा

“युवाओं के हाथ में देश के भविष्य की दशा और दिशा”
प्रति वर्ष के तरह इस साल भी १२ जनवरी को पूर्ण उत्साह के साथ युवा दिवस मनाया गया। वर्तमान में देश के लगभग ६५ प्रतिशत जनसंख्या युवा श्रेणी में है, परंतु यक्ष प्रश्न यह है कि क्या हमें इसका जनांकिकीय लाभांश प्राप्त हो रहा है ? शायद नहीं।
सभी संसाधनों में मानव संसाधन सर्वोत्तम है अगर हम उन्हें समुचित अवसर मुहैया प्रदान करें। देश का युवा, यात्रा तो करता है परंतु उन्हें मंजिल का पता नहीं होता। यहीं उद्देश्यविहीनता उसे भटकाव के ओर ले जाता है और अंततः वे देश के अर्थव्यवस्था पर बोझ बन जाते हैं। अगर उनके बौद्धिक स्तर को ऊपर उठाने के सतत् एवं सकारात्मक प्रयास कियें जाय तो वे देश के आर्थिक समृद्धि में अमूल्य योगदान दे सकते है !
युवाओं के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है:-वास्तविक एवं स्पष्ट लक्ष्य का न होना है। शिक्षण संस्थाओं तथा विशेषज्ञों के मदद से उनके विशेष योग्यता की पहचान करनी चाहिए तथा तदनुसार उनके कौशल विकास का उचित प्रबंध हो ताकि सामाजिक उत्थान में उनकी अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित किया जा सकें। डिजिटल डिस्ट्रैक्सन के कारण भी युवा दिग्भ्रमित हो रहें है। उचित मार्गदर्शन से उन्हें इस व्यसन से मुक्ति मिलेगी और वे अपने अनमोल समय का सदुपयोग कर पायेंगे। २१ वीं सदी में भी युवा विशेषकर उत्तर भारत के युवाओं में सीमित होते जा रहे सरकारी नौकरियों में विशेष रुचि है जबकि नीजी क्षेत्र में देश -विदेश में अवसरों का भरमार है। तकनीक के आने से परम्परागत रोजगार के साधन सिकुड़ रहे है। इसलिए युवाओं में अद्यतन तकनीक सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलना चाहिए ताकि उनकी प्रासंगिकता एवं उत्पादकता को धारदार बनाया जा सकें। खेल, अनुसंधान, अंतरिक्ष, सामाजिक कार्य, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि अनेक क्षेत्र है जहां युवा वर्ग अपना योगदान दे सकते है। गैर सरकारी संगठन भी युवाओं के कौशल विकास में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें।
सामाजिक सरोकार की परम्परा के दरकनें से पिछले दिनों युवा वर्ग में अनुशासनहीनता की प्रवृत्ति बढ़ी है। जैसा कि कहा जाता है अनुशासन सफलता की पहली सीढ़ी है। अनुशासित जीवन शैली से ही हम सफलता का स्वाद चख सकते हैं। युवाओं के सम्मुख एक प्रमुख समस्या उनमें जीवन कौशल का अभाव होना भी है। जीवन कौशल एक व्यापक क्षेत्र है जिसमें सम्प्रेषण कौशल, श्रवण कौशल, नेतृत्व के गुण, सृजनशीलता, समस्या निवारण कौशल आदि गुर सिखाए जाते है। जीवन कौशल का ज्ञान युवाओं की क्षमता को और विस्तार देगा। समाज के बुद्धिजीवी वर्ग, सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन आदि के सामूहिक प्रयास से डिरेल होते युवाओं के ऊर्जा को सकारात्मक दिशा दिया जा सकता है।

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