सर्वप्रथम छठी माँ से प्रार्थना कि हम सबको अच्छे संस्कार एवं अच्छे विचार का वरदान दे 🙏
छठ पर्व के शुभ अवसर पर इसके मूल संदेश एवं कर्मकांड के रहस्यों को जानने और मानने की ज़रूरत है ताकि जीवन में सकारात्मक समृद्धि आये।
छठ पर्व मनाने के पीछे समृद्धि की सूक्ष्म समझ थी हमारे पूर्वजों, ऋषि- मुनियों, आत्मवेताओं में। वर्तमान में हम समृद्धि के सिर्फ़ एक आयाम “आर्थिक समृद्धि” के पीछे पड़े है और यही कारण है कि हम पिछड़े, अशांत एवं भयभीत महसूस कर रहे है। समृद्धि के दो अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू को भूलते जा रहे है।
- पारिस्थितिकीय समृद्धि ( Ecological Prosperity)
- चारित्रिक समृद्धि (Character Richness)
छठ पर्व पारिस्थितिकीय समृद्धि के विधि-विधान को उजागर करता है। जीवन- यापन के विशेष एवं महत्वपूर्ण पहलू पर प्रकाश डालता है। ॰ सूर्य व रौशनी के महत्व ॰ स्वच्छता का महत्व ॰ जल संरक्षण के उपाय ॰ ऋतु अनुकूल आहार- विहार के नियम ॰ सामाजिक सरोकार, आदान-प्रदान इत्यादि जो खुशहाल जीवन हेतु महत्वपूर्ण है।
आज नदी, नाला, तालाब, नहर, पोखर आदि जल संरक्षण के उपाय ग़ायब होते जा रहे है। ऋतु अनुकूल ख़ान-पान व्यवस्था नही होने के कारण हॉस्पिटल में रोगियों के भीड़ देखा जा सकता है। शुद्ध हवा नहीं मिलने के कारण मानसिक रोगियों की संख्या अब भारत में भी बढ़ता जा रहा है। युवा उदिग्न हो रहे है। आज ज़रूरत है पर्व में समाहित कर्मकांड को समझकर जीवन समृद्ध करने की।
हे युवा जागो!🌺🙏
धर्मवीर प्रभाकर, विद्यार्थी ( Mind Technology) & Founder-Jiyo Jaago Foundation